भारतीय रुपया 2026 की पहली तिमाही में प्रति डॉलर 92 तक गिरने का अनुमान है।
2025 में एशिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा बनने के बाद, भारतीय रुपये के लिए 2026 की शुरुआत चुनौतीपूर्ण रहने की संभावना है। नोमुरा और एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस के विश्लेषकों का अनुमान है कि मार्च के अंत तक रुपया प्रति डॉलर 92 तक गिर सकता है। आगे रुपये की चाल काफी हद तक भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते के समाधान पर निर्भर करेगी, जो अभी तक अंतिम रूप नहीं ले पाया है।
रुपये पर दबाव लगातार विदेशी निवेश के बाहर जाने से और बढ़ गया है। निवेशकों की रुचि बढ़ाने के प्रयासों के बावजूद दोनों देशों के बीच वार्ताएं ठप पड़ी हैं। दुनिया की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत को एक दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है—अपने निर्यात पर अमेरिका के कड़े शुल्क और बड़े पैमाने पर पूंजी के पलायन की।
हालांकि, इसमें एक सकारात्मक पहलू भी है। कमजोर होता रुपया भारतीय निर्यात को अधिक प्रतिस्पर्धी बना सकता है। अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर दुनिया में सबसे ऊँचे शुल्कों में से कुछ लगाए हैं। इसके परिणामस्वरूप सितंबर में अमेरिकी बाज़ार में निर्यात 12% गिर गया, जिसके बाद अक्टूबर में इसमें और 8.5% की कमी आई। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने बताया कि इन अमेरिकी शुल्कों के कारण राज्य के वस्त्र उद्योग को भारी नुकसान हुआ है।